मुझे पता नहीं तुम्हें याद हैं या नहीं
वो दिल्ली की चांदनी चौक वाला किस्सा।
चमचमाती और सजी हुई कपड़ों की
दुकानें आज भी जहां शटर के बाहर लगा करती हैं।
हेलोजन से जरी वाला हिस्सा टिमटिमाता और उसकी चमक आ पड़ती तुम्हारे चेहरे पर।
वो अंजान रास्ते पर जान कर के भटक जाना
हाथों में एक दूसरे का हाथ पकड़े रोड क्रॉस करना
और रुक जाना उस लज़ीज़ मोमोस की दुकान पर
मेरा जाकर प्लेट में 7 पीसेस मोमोस लाना
और जैसे तुम्हारी आंखो में वो चमक आना
यकीन मानों मेरी मोहब्बत
वैसे ही हैं तुम्हारे लिए
जैसे तुम्हारी मोमोस को लेकर हैं।
और हां… मयोनेस के साथ चटकारे लेती बहुत प्यारी लगती हो तुम। दिल करता हैं बस लम्हों को जकड़ कर तुम्हें ताकता रहूं, जब तक की तुम खाती रहो, और वो मोमोस कभी ख़त्म ना हो! काश।
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Awwww! Dil pighal gaya ye padh kar! 🌼 Kitna khoobsoorati se likha hai Sir ne. Mujhe aisa laga jaise mai bhi hoon wahan par, haha. I wish wo momos ko jitna pyaar karti thi, utna aapko karti. 😛 Aur likhho!
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मोमोस को प्यार करके खा गई।
और मुझे प्यार करती तो? हाहा।
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Arey re. Aap bhi khawa jaate. OMG!! 😹😹😹
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Bht hi khubsurat kissa h, bepanah mohabbt se bhara.
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बहुत बहुत शुक्रिया, मेरे भाई।
तुझे अच्छा लगा यह जान कर बहुत अच्छा लगा।
पढ़ते रहो।
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Bhaut saandar….
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शुक्रिया, प्रीति।
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बहुत सुंदर….!!!!
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बहुत शुक्रिया, शर्मा जी।
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Nice…
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Nice one 👍
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Heart Melting SumitBhaiya ! 💙
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Bhut hi umda, i could imagine the scene❤
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Vo momos or tum, behad intazaar hai us din ka jab saath mein khayenge hum or tum, haan vahi “Dilli vale Momos”🙈
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