डायरी लिखते हो? मगर सुनो!
उसमे कुछ भी लिखो लेकिन प्रेम कविताओं
का उल्लेख मत करना।
उसके बदन कि अंगड़ाई से प्रभावित हो कर
रचनाए मत बना देना।
उसके होंठों को चूमने पर जो आग लगी थी न
उसे लिखने की कोशिश मत करना
नहीं तो उंगलिया जला बैठोगे, और
बिगाड़ोगे अपनी तमाम रात उसके ख्यालों में।
और फिर सोचोगे की कल उन्हें छपवा कर
दुनिया को बताओगे अपने अधूरे इश्क़ की दास्तान।
मगर मेरी बात मानों, वो प्यार तुम्हारा रद्दी में सड़ता फिरेगा,
और एक उम्र बाद फूटपाथ पर बिकेगा किलो के भाव में।
इसलिए दिन भर के लंबे सफर के बाद
जब रात को घर को लौटो,
तो कुछ भी लिखो मगर
डायरी में प्रेम कविताएं कभी मत लिखना।
-SumitOfficial
हिंदी दिवस की शुभकामनाए 🙂
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Kya baat hai…super
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Bahut Shukriya, Preeti.
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Bht khoob… Yr
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Thank you.
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Very well said
On Fri, 18 Jan 2019, 20:30 SumitOfficial’s Blog, wrote:
> SumitOfficial posted: ” डायरी लिखते हो? मगर सुनो! उसमे कुछ भी लिखो लेकिन
> प्रेम कविताओं का उल्लेख मत करना। उसके बदन कि अंगड़ाई से प्रभावित हो कर
> रचनाए मत बना देना। उसके होंठों को चूमने पर जो आग लगी थी न उसे लिखने की
> कोशिश मत करना नहीं तो उंगलिया जला बैठोगे, और ब”
>
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Bahut shukriya, Rakesh.
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चांदनी रोज़ बिखरती है आँगन-२
चर्चा अमावस को करोगे तो दोष किसका है
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Raat Ko! Aur yeh kambakht jaade Ko Jo Jane ka Naam hee nahi leta.
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Great… 👌
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Thank you for reading. 🙏
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Ohhhh God! Dil dukhaa ye poem padh ke. 😧 So heartbreaking, so depressing! Everything okay, Sir?
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Everything’s PERFECTLY perfect, love.
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Kya khoob kaha, maan gye mr.official❤️
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Wow…Kamal hai
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Bahut shukriya 🙂
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